मगहर नगर का इतिहास
Kabir Samadhi

सारे भारत में मुक्तिदायिनी के रूप में मानी जाने वाली काशी को वहीं अपने जीवन का अधिकांश भाग बिता चुके कबीर ने मरने से करीब तीन वर्ष पूर्व छोड दिया और ऐसा करते हुए कहा भी-

"लोका मति के भोरा रे जो काशी तन तजै कबीरा तौ रामहि कौन निहोरा रे"
पर काशी छोडक़र कबीर आखिर गए कहां?


काशी छोडक़र महान संत कबीर मगहर गए जिसके बारे में लोकमान्यता थी कि वहां मरने वाला नरक में जाता है। पर स्थान या तीर्थ विशेष के महत्व की अपेक्षा कर्म और आचरण पर बल देने वाले कबीर ने काशी से मगहर प्रस्थान को अपनी पूरी जिंदगी की सीख के एक प्रतीक के रूप में रखा और स्पष्ट किया- ''जस काशी तस मगहर ऊसर हिरदै राम सति होई''

उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग को बेहिचक सन्तों की कर्मभूमि कहा जा सकता है। इसी भाग के प्रमुख शहर गोरखपुर के पश्चिम में लगभग तीस किलोमीटर दूर संत कबीर नगर (पुराना बस्ती जिला) में स्थित है मगहर।

कहा जाता है कि शरीर छोड़ने का समय निकट आने पर संत कबीर ने अपने शिष्यों को इसकी पूर्वसूचना दी। शिष्यों में हिन्दू और मुसलमान दोनों थे। सारी जिंदगी साम्प्रदायिक संकीर्णता और उस संकीर्णता के प्रतीक चिन्हों से ऊपर उठकर सही मार्ग पर चलने का उपदेश अपने शिष्यों को देने वाले कबीर के शरीर छोडते ही उनके शिष्य उसी संकीर्णता के वशीभूत होकर गुरु के शरीर के अन्तिम संस्कार को लेकर आमने-सामने खडे हो गए। हिन्दू रीवां नरेश के नेतृत्व में शस्त्र सहित कूच कर गए और उधर मुसलमान नवाब बिजली खां पठान की सेना में गोलबंद हो गए। विवाद में हिन्दू चाहते थे कि कबीर का शव जलाया जाए और मुसलामान उसे दफनाने के लिए कटिबध्द थे। पर सारे विवाद के आश्चर्यजनक समाधान में शव के स्थान पर उन्हें कुछ फूल मिले। आधे फूल बांटकर उस हिस्से से हिन्दुओं ने गुरु की समाधि बना दी और मुसलमानों ने अपने हिस्से के बाकी आधे फूलों से मजार।

कबीर की मजार और समाधि मात्र सौ फिट की दूरी पर अगल-बगल में स्थित हैं। दोनों ही सफेद रंग के भवन में है। समाधि स्थल से थोडी ही दूरी पर कबीर की गुफा है जो उत्तर प्रदेश शासन के पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित है। पर यह मूल कबीर-गुफा नहीं है और संभवत: मूल गुफा का जीर्णोद्वार कर दो शताब्दी पूर्व अस्तित्व में आई थी। कहते हैं कि साधना और एकान्तवाास में कबीर कभी-कभी इस गुफा में प्रवेश कर जाते थे। बाद में कबीरपंथियों ने साधना के लिए इसका उपयोग किया पर अब ये बंद है|